yakshini sadhana anubhav
yakshini sadhana anubhav (13)शोभना यक्षिणी :- yakshini sadhana anubhav yakshini sadhana anubhav स्वरूप :- कुरुपिणी ,एक आँख ऊपर को चढ़ी हुई,माथा टेड़ा देखते ही घृणा उतपन्न होती है। मदिरा मांस में अधिक रूचि रखती है। गले में अनेक प्रकार की खोपड़ी लाल रंग से रंगी हुई पड़ी रहती है। yakshini sadhana anubhav yakshini sadhana anubhav शोभना याक्षिणी का आगमन:- यह याक्षिणी जब आती है अनेक प्रकार के रूप बदलती हुई आती है किसी -किसी समय तो अनेक भयंकर आवाजे सुनाने लगती है। कभी-कभी इसके साथ में अनेक स्त्रियाँ आती हुई दिखाई देती है,कभी स्वयं अनेको प्रकार से नाचती है। और कभी रोती हुई आती है। इसका प्रचंड कोप बड़ा भयानक होता है साधक को चाहिए की सावधानी के साथ बैठा रहे और चित को विलचित ना करे वरना पागल हो जाएगा। yakshini sadhana anubhav yakshini sadhana anubhav शोभना याक्षिणी का साधना का समय :- इस याक्षिणी को सिद्ध करने का समय रात्रि के 1 बजे का है आषाढ़ बड़ी 15 गुरुवार के दिन स्वाति नक्षत्र में इसको सिद्ध करना प्रारम्भ करके बलिदान के लिए तेल और गुड़ में आटा गुथकर लड्डू बना कर रख ले प्