yakshini sadhana anubhav

yakshini sadhana anubhav (13)शोभना यक्षिणी :-
yakshini sadhana anubhav
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yakshini sadhana anubhav स्वरूप :-
कुरुपिणी ,एक आँख ऊपर को चढ़ी हुई,माथा टेड़ा देखते ही घृणा उतपन्न होती है। मदिरा मांस में अधिक रूचि रखती है। गले में अनेक प्रकार की खोपड़ी लाल रंग से रंगी हुई पड़ी रहती है।
yakshini sadhana anubhav
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yakshini sadhana anubhav शोभना याक्षिणी का आगमन:-
यह याक्षिणी जब आती है अनेक प्रकार के रूप बदलती हुई  आती है किसी -किसी समय तो अनेक भयंकर आवाजे सुनाने लगती है। कभी-कभी इसके साथ में अनेक स्त्रियाँ आती हुई दिखाई देती है,कभी स्वयं अनेको प्रकार से नाचती है। और कभी रोती हुई आती है।
इसका प्रचंड कोप बड़ा भयानक होता है साधक को चाहिए की सावधानी के साथ बैठा रहे और चित को विलचित ना करे वरना पागल हो जाएगा।
yakshini sadhana anubhav
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yakshini sadhana anubhav शोभना याक्षिणी का साधना का समय :-
इस याक्षिणी को सिद्ध करने का समय रात्रि के 1 बजे का है आषाढ़ बड़ी 15 गुरुवार के दिन स्वाति नक्षत्र में इसको सिद्ध करना  प्रारम्भ करके  बलिदान  के लिए तेल और गुड़ में आटा गुथकर लड्डू बना कर रख ले प्रति दिन जाप समाप्त करने के बाद काले कुत्ते को 108 लड्डू नित्य प्रतिदिन खिला दिया करे। इस प्रकार 30 दिन तक रोज तिल और गुड़ के लड्डू बनवाये। और अंतिम दिन तेल,बेसन,और गुड़ के 108 लड्डू बनाकर कुत्तो को खिला दे।
yakshini sadhana anubhav
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yakshini sadhana anubhav शोभना याक्षिणी को सिद्ध करने का मंत्र :-
ॐ शोभनायः शोभनायः नमः।
निरकारो निरामासो वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।
कैथ बृक्ष की छाया में बैठकर 3 दिन तक जाप करते रहे जाप करने की माला चिकनी मिटटी के दानो की बनावे और उसमे चरी कन्या के हाथ का काटा हुआ सूत डाले। यह सूत्र विशाखा नक्षत्र में काटा जाता है। इसकी कपास प्राकृतिक रूप से पैदा होती है। इसको कोई जोतता बोता नहीं स्वयं बरशात में इसके पेड़ अपने आप उग जाते है।
और पंचक त्याग कर इसकी कपास लाइ जाती है फिर उसको क्वारी कन्या के हाथ से कटवाते है। इस जाप की माला सवा लक्ष एकाग्रचित से जापिजाति है समाप्ति होने पर कन्याओ और लांगुराओ को भोजन हलुआ और चने का साक कराया जाता है,फिर उनको लाल रंग का वस्त्र पहनाकर यथाशक्ति दान दिया जाता है।
yakshini sadhana anubhav
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yakshini sadhana anubhav शोभना याक्षिणी का प्रभाव :-
यह आते ही साधक को पटक देती है ,अनेक प्रकार के दुर्व्यवहार करती है और यदि साधक इसको सह लेता है तो उसे माला-माल कर देती है।

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