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 do logo ko alag karne ka upay या झगडा  कराने का यंत्र :-


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 do logo ko alag karne ka upay सामग्री :-

ढाक के पता,   चावल का माड़

 do logo ko alag karne ka upay समय:-

शनिवार के दिन दोपहर में
12 बजे
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 do logo ko alag karne ka upay विधी:-

इस विधी को करने के लिए आप बताई गई  सामग्री को अपने पास रख लीजिए।
इसके बाद अपना मुख दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके काले कपड़े के आशन पर बैठ जाइए।
 इसके बाद उंगली की सहायता से इस यंत्र को ढाक के पता पर माड़ की सहायता से बनाइए और इसे धूप में सुखा कर अपने पास रख लीजिए।
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जब रात्री में 12 बजे तब इसे शमशान में गाड़ दें और 21 दिन तक इसे वहीं पर रहने दे।
जब 21 दिन पूरे हो जाए तब इसे  शमशान में से उखाड़ कर अपने पास रख ले और जिस के घर में झगड़ा कराना है उसके घर में चुपचाप फेक दो और   उसी स्थान पर खड़े होकर पश्चिम दिशा में मूत्र त्याग करना है।
कुछ समय पश्चात उस घर में कलह सुरु हो जाएगा।
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 do logo ko alag karne ka upay सावधानियां:-

  *यह काम करते समय आपको कोइ देखे ना।
  *यंत्र बनाने के बाद 21दिन  पूरे होने पर दुश्मन के घर पर फेक दीजि,यदि आप बताए हुए समय पर इसे नहीं कर पाए तो इसे अपने पास रखीए मत इसे बहते पानी मे छोड़ दीजिए।
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do logo ko alag karne ka upay स्त्री सामुद्रिक :-
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 do logo ko alag karne ka upay सिर:-
जिस स्त्री का सिर मोटा होता है वह विधवा होती है छोटे सिर वाली स्त्री दुर्भाग्य हिना होती है जिस स्त्री का सिर चौड़ा होता है वह रोगिनी होती है या रोग से युक्त होती है या उसके जीवन में उसके शारीरिक रोग ज्यादा होते हैं।

do logo ko alag karne ka upay बाल:-
 जिस स्त्री के बाल लंबे काले चिकने चमकीले और कोमल होते हैं वह सुहागिनी होती है।
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 आगे को मुड़े हुए बाल वाली स्त्री शुभ  व पुत्रवती होती है मोटे बालों वाली विधवा होती है सुनहरे रंग के बालों वाली स्त्री मृत्यु तरुण अवस्था में हो जाती है।
do logo ko alag karne ka upay नेत्र :-
 जिस  स्त्री के नेत्र लाल हो वह पतिघातनि  होती है जिसके नेत्र गोल होते हैं वह मांसाहारी होती है जिस स्त्री के नेत्रों से हुवा अल्पायु की होती है जिसके नेत्र छोटे होते हैं वह कुलटा होती है बार-बार नेत्र चलाने वाली व्यभिचारी होती है या उसका अंदर का विचार मन का विचार अच्छा नहीं होता है पिंगलवाड़ा और काले रंग की आंखों वाली औरत दुष्ट होती है जिस स्त्री के नेत्र सफेद  हो  वह  विश्वासघाती होती है या विश्वास ना करने वाली होती है या धोखा देने वाली होती है चंचल और भड़कीले आंखों वाली स्त्री दुखिया होती है।
do logo ko alag karne ka upay कनपटी:-
 जिस औरत की कनपटी श्वेत हो वह सन्यासिनी होकर व्यभिचारी होती है।
do logo ko alag karne ka upay नाक:-
 जिस औरत की नाक सिकुड़ी हुई होती है और बीच का भाग बैठा हुआ हो वह विधवा होती है जिसकी नाक चपटी होती हो जिसकी नाक लंबी हो वह पुत्रवती होती है।
do logo ko alag karne ka upay जुबान :-
 जिस औरत की जुबान सफेद हो उसकी मृत्यु जल्द से होती है जिसकी जुबान काली हो वह झगड़ालू होती है जिसकी जुबान मोटी होती है वह मांसाहारी होती है जिस औरत की जुबान लंबी होती है वह भी मांसाहारी होती है जिस औरत की जुबान बार-बार होठों पर फिर वह  झूठी होती है।  काले और मोटे होठों वाली औरत झगड़ालू होती है जिस औरत के होंठ पर बाल हो वह पतिघातनी होती है।
do logo ko alag karne ka upay दाँत:-
 जो औरत सोते समय दांतो को किट-किटाये  वह कुलक्ष्नी होती है जिस औरत के आगे के दो  दांत बड़े और होठों से बाहर निकले हो  वह विधवा होती है जिसके दांत दूर-दूर हो  वह व्यभिचारी होती है।
do logo ko alag karne ka upay हसी :-
जिस स्त्री के गालों में हंसते समय गड्ढे पड़ जाए और कपोए बैठे हुए हो वह व्यभिचारी और विधवा होती है जिस स्त्री के गाल हंसते समय झूल जाते हैं,वह तीसरे पन में विधवा हो जाएगी।
do logo ko alag karne ka upay कंधे :- 
जिस स्त्री के कंधे मोटे हो विधवा होगी।
do logo ko alag karne ka upay हृदय :-
 जिस स्त्री के हृदय पर रोम ना हो तो वह शुभ लक्षण है, जिसके घने और गोल हृदय वाली स्त्री रानी होती है जिस औरत का हृदय रोम युक्त हो वह विधवा होती है।
 do logo ko alag karne ka upay छाती:-
  जिस स्त्री के छाती पर रोम होता है,वह पतिघातनी होती है पुष्ट छाती वाली स्त्री हर प्रकार से सुखी होती है जिस स्त्री की छाती नीची और रोम युक्त होगी वह दरिद्रीय होती है चौड़ी छाती वाली औरत व्यभिचारिणी और निर्दई होती है जिस औरत का बयान ऊंचा हो वह पुत्रवती होती है जिस औरत के स्तन पेट तक लंबे और चौड़े हो वह विधवा होती है जिस औरत के स्तनों के आगे का भाग मोटा और बीच में पतला या जड़ के आगे पतला हो वह लक्षण अशुभ है।
do logo ko alag karne ka upay दीर्घायु प्राप्त हो :-
पांचो पंच मुल्लों को अलग-अलग शेर शेर भर लेना चाहिए बड़ी हरड़ का g1000 नया आंवला 3000 लेना चाहिए पहला पंच मूल साल पड़े प्रश्न वाणी छोटी छोटी कटेरी बड़ी कटेरी और गोखरू बड़े इन पांचों चीजों का होता है दूसरा पंचमूल बेल सोना पाठा गंभारी अटला तथा अरणी का होता है कि श्री पंच मूल पुनर्वास और रंग का होता है चौथा पंचमूल जीवन ऋषभ मैदा सतावर तथा साल की जड़ का होता है पांचवा पंचमूल सरकार तथा साल की जड़ का होता है उपरोक्त दवाइयों को 10 गुने पानी में डालकर काढ़ा बनाना चाहिए और पानी का दसवां भाग शेष रहने पर स्वच्छ कपड़े में जान लेने और हरण तत्व तथा आम लोगों को निकालकर जो गाड़ी में दबाव के साथ कपड़े की पोटली में डाल दिए गए थे उनकी गुठलियों को बाहर कर लेना चाहिए इसके पश्चात कुचल पर खुशियों से इसका रेशा निकाल देवें और आंवले की गुठली निकाल कर बड़ी बाल्टी के मुख पर मजबूत कपड़ा बांधकर थोड़ा-थोड़ा करके हरण और आम लोगों कपड़े के ऊपर रखे और हाथ की हथेली से रगड़े इसके आंवला और हरण का रेशा ऊपर कपड़े में रह जाएगा बिना रेशे का भाग नीचे बाल्टी बाल्टी में आएगा रे से निकल जाने पर और आंवले के शब्द भाग को जो कपड़े के बाद रहित भाग है गाड़ी में डाल देवें साथी इन चीजों का चूर्ण भी काढ़े में मिला दें मंडूक कपड़े छोटी पीपल शंखपुष्पी का सुगंध ट्रेन मोथा बाय बिल्डर लाल चंदन अगर मूल हल्दी हल्दी पंचम नागकेसर छोटी इलायची और दालचीनी प्रत्येक 32 तोला मिश्री 716 तेल 16 से 24 सेर इन सब को तांबे के कलाई के बर्तन में धीमी आंच पर पकाना चाहिए लकड़ी की कड़ी कर चूर या कल स्कूल से चला में जब ले अच्छी प्रकार बन जावे और जले नहीं तब उतार लेना चाहिए ठंडा होने पर इसमें शहद मिलाना चाहिए शहद की धूल भी शेर होनी चाहिए इन सबको घृत या घी से भाविक पात्र में रखना चाहिए मात्रा और समय को देखकर इस अवलेह का उतारना सेवन करना चाहिए पक्ष भी जाए भूख कम ना करें सेवन करने वाला पुरुष भोजन आदि का विधि पूर्वक व्यवहार करें रसायन के तीन पारी पाक होने पर दूध के साथ साठी के चावल खाने चाहिए वनस्पति वाले खिले जिन्होंने बाल्यकाल में ही वानप्रस्थाश्रम का सेवन किया है और तपस्वी लोगों ने इस रसायन के सेवन से अपार आयु प्राप्त की है इसके व्यवहार करने से मुनि लोग तंद्रा मकान श्रम से संवाद से रहित निरोग मेघा स्मृति तथा बल से युक्त होकर बहुत दिन तक ब्रह्मचर्य का सेवन कर सकें दीर्घायु को चाहने वाले व्यक्ति को चाहिए कि इस रसायन का उपयोग करें इसके सेवन से दीर्घ आयु उत्तम अवस्था तथा मनचाही कामनाएं प्राप्त होती हैं।

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