yakshini sadhana in hindi

yakshini sadhana in Hindi 
yakshini sadhana in hindi
 yakshini sadhana in hindi

नमस्कार दोस्तों आज हम यक्षिणी साधना के बारे में बताने जा रहा हु। ऐसी साधनाए काफी अच्छी और फलदायक होती है। ऐसी सिद्धि हो जाने से कार्य बड़ी सरलता से पुरे हो जाते है। और बुद्धि तिब्र होती है। इस सिद्धि को पाकर मनुष्य कठिन से कठिन समस्याओ को क्षण भर में पूरा कर सकता है। अपने दुश्मन के मन की गुप्त बात जान सकता है।
और जो कुछ मुँह से कह देता है, वह सत्य अवश्य होता है। इस साधना से अनेक प्रकार के चमत्कार करके लोगो को बस में कर सकता है। संसार में कोई उसका दुश्मन नहीं रहता है ,सभी उसे मान और प्रतिस्ठान देने लगते है। yakshini sadhana in hindi इस प्रकार की साधना कोई आसान साधना नहीं होती है सामान्य व्यक्ति इस प्रकार की साधना सफल नहीं कर सकते क्योकि कोई भी साधना जितनी फलदायक होती है, उतनी ही कठिन और खतरनाक होती है। इसीलिए इस प्रकार की साधना करने से पहले किसी ज्ञानी पुरुष या तांत्रिक की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए।
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yakshini sadhana in hindi
 याक्षिणी साधना  में कई प्रकार की साधना होती है,यह निम्न प्रकार है :-
यक्षिणी 14 प्रकार की होती है।
(1 ) महायाक्षिणी                        (2 )सुन्दरी याक्षिणी              (3 ) मनोहारी याक्षिणी
(4 ) कनक याक्षिणी                    (5 ) कामेश्वरी याक्षिणी          (6 ) रतिप्रिया याक्षिणी
(7 )पदीमनी याक्षिणी                 (8 ) नटी याक्षिणी                   (9 ) रागिनी याक्षिणी
(10 ) विशला याक्षिणी                 (11 )  चन्द्रिका याक्षिणी         (12 ) लक्ष्मी याक्षिणी
(13 ) शोभना याक्षिणी               (14 ) मर्दनी याक्षिणी
 yakshini sadhana in hindi (समय )
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ऐसी साधना सिद्ध करने के लिए उचित समय होता है। इसे आषाढ़ मास में पूर्णमासी  गुरुवार के दिन अथवा शुक्रवार की सूर्य उदय में नहा धोकर और पवित्र होकर क्रिया करनी चाहिए।
yakshini sadhana in hindi (याक्षिणी साधना की क्रिया )
ऐसी क्रिया हमेशा निर्जन वन में बेलपत्र या केले के पेड़ के निचे सबसे पहले महादेव की आराधना निम्न मंत्र से करनी चाहिए।
मंत्र :-
ॐ रुद्राय नमः स्वाहा ,
ॐ त्रयम्बकाय नमः स्वाहा।
ॐ यक्ष राजाय स्वाहा ,
ॐ त्रयलोचनाय स्वाहा।
यह क्रिया एकाग्र होकर इस मंत्र का पांच शहस्त्र बार जाप करना चाहिए। और वापस घर में आकर खीर का भोजन करे और अपनी श्रद्धा अनुशार कन्याओ को खीर का भोजन कराये।
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(1 ) महायाक्षिणी सिद्धि
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यह   साधना रात्रि में तीसरे पहर में सिद्ध की जाती है। रात्रि को नियमित समय पर श्मसान भूमि में जाके सुषम्नाडी के चलते समय वट बृक्छ के ऊपर चारो ओर से एकाग्रचित होकर निचे लिखे मंत्र को पांच हजार बार नित्य ही जाप करे।
मंत्र निम्न प्रकार है :-
ॐ ह्रीं क्लीम महा याक्षिणी प्रदात्र्यै  नमः।
yakshini sadhana in hindi महा याक्षिणी का आगमन
यह याक्षिणी अनेक रूप धारण करके साधक को भय भीत करती है। आते समय भैंसे का रूप धारण कर लेती है।
जिस समय आती है प्रथम अंधकार और आंधी लाती है और हवा बड़े वेग से चलती है। बादल की घटा इतनी जोर की चारो ओर उठती हुई दिखाई देती है की मानो हाथो हाथ कुछ दिखाई नहीं देता है। फिर एकदम उजाला हो जाता है फीर काले रंग के बाल बिखेरे हुए ,नाचती हुई स्त्री आती है। जिसके दाँत आगे निकले हुए,सिर पर लाल रंग का कपड़ा लिपटा हुआ ,मस्तक पर सिंदूर का टिका लगा हुआ ,जिसकी सूरत देखते ही यह अनुमान हो जाता है की काल की यही निशान है।
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ऐसे अनेक उपद्रव एक सप्ताह तक लगातार होता रहता है यदी साधक भयभीत ना हुआ हो तो आखिरी में महा याक्षिणी दर्शन देती है।
(2 ) yakshini sadhana in hindi सुन्दरी याक्षिणी साधना :-
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yakshini sadhana in hindi सुन्दरी याक्षिणी श्वरुप
यह याक्षिणी गोर बदनवाली 16 वर्षीय बालिका के रूप में ,बसन्ती साडी पहने हुए गले में सफेद पुष्पों की माला धारण किये हुए भुजाओ में लाल रंग की चुस्त चोली पहने ,नाक में झलकदार नथ पहिने साधक को दर्शन देती है।
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(3) yakshini sadhana in hindi मनोहारी याक्षिणी :-
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yakshini sadhana in hindi मनोहारी याक्षिणी सिद्ध करने का समय :-
रात्री में 12 बजे स्वाती नक्षत्र में शनिवार के दिन से आरम्भ की जाती है। साधक साधना प्रारम्भ करने के दिन प्रातः काल क्षौर कर्म कराकर छोटे -छोटे बच्चो को मिस्ठान ,दही का भोजन करावे और यथाशक्ति उनको दान देकर वरदान मांगे  जिससे साधक निविर्द्धन समाप्त होवे। फिर निर्जन वन में जाकर वट वृक्ष की जड़ में काल भैरव की मूर्ति स्थापित कर उसको स्नान करावे फिर धुप दिप से पूजन कर नित्य प्रति एक हजार बार लिखे मंत्र का जाप करे।
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साधना मंत्र निम्न प्रकार है :-
ॐ ह्रीं ह्रू ह्रू फट स्वाहा ॐ फट स्वाहा।
ॐ ह्रीं फट स्वाहा मनोहारी यक्षिण्यै नमः।
काले धागे की डोरी और उसमे रुद्राक्ष के 108 दाने डाले और माला बनाये फिर एकाग्रचित होकर जाप करे। प्रत्येक सहस्त्र जप होनेपर एक आटे का पुतला रखते जाए और जैसे साधना समाप्त करे सबको इक्ठा बनाकर अपने मकान के पीछे गाड़ दे।
yakshini sadhana in hindi मनोहारी याक्षिणी का आगमन :-
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जिस समय यह याक्षिणी आती है फूलो की सुगंधित साथ लाती है इसके आगे -आगे अनेक प्रकार के पशु जैसे -शेर ,चीते ,गीदड़ आदि आपना -अपना स्वरूप बदलते हुए दिखाई देते है। किसी -किसी पशु पर दैत्य सवार होता है ,पीछे चंद्रमुखी शखनी हाथो में पुष्पों की माला लिए हुए आती है।
yakshini sadhana in hindi मनोहारी का स्वरूप निम्न प्रकार है :-
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श्वेत वर्ण की अमुमानतः 16 वर्षीय कन्या के अनुशार चार शंखनियो के कंधे के शीघ्हासन पर बैठी हुई दर्शन देती है गले में फूलो के हार पड़ा होता है ,हाथो में कमल का फूल धारण किये हुए होती है ,माथे पर सिंदूर का टिका लगा होता है ,सिर के बाल खुले हुए पीछे लटके -लटके रहते है यदि यह प्रसन्न हो जाए तो अपना परिचय तीन प्रकार से देती है धन ,जन ,और मानस। विमुख हो जाने पर सकुटुम्ब का नाश कर देती है। इससे प्राप्त किया हुआ धन अच्छे कामो में लगाया जाय तो काफी परिवार में सुखशांति आती है और यदि इससे प्राप्त धन व्याभिचार या मदिरा पान खर्च करे तो पुत्र आदि सहित सब कुछ नष्ट हो जाता है।
यह जिस कार्य की आवश्यकता हो क्षण भर में पूरा कर देती है। साधक को किसी भी प्रकार का भय ,क्लेश नहीं होने देती है। इसकी साधना में भय नहीं करना चाहिए।
 (4) yakshini sadhana in hindi कनक  याक्षिणी:-
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yakshini sadhana in hindi साधना का समय:-
यह रात्रि  1 बजे एकांत व निर्जन वन में सिद्ध की जाती है।
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yakshini sadhana in hindi साधना मंत्र
ॐ ह्रीं कनक क्लिं याक्षिणी नमः। 
ॐ ह्रुं कुरु ठः ठः स्वाहा। 
ॐ क्लिं फट स्वाहा। 
yakshini sadhana in hindi क्रिया 
इस मंत्र को सवा लाख नित्य प्रतिदिन करके जाप करे। इस प्रकार नित्य ही जाप करने से तीन दिन बाद दर्शन देगी।
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yakshini sadhana in hindi कनक याक्षिणी का रूप
यह   याक्षिणी आते ही चारो और से मल मूत्र की वर्षा करते आती है। हाड माश की मालाये धारण किये रहती है। जो इसको पसंद है ,यदि इसको अधिक तंग किया जाय तो साधक की मति भ्र्ष्ट कर देती है।
yakshini sadhana in hindi कनक याक्षिणी का शवरुप 
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यह 60 वर्ष की बुढ़िया के समान होती है सिर पर समस्त बाल सफेद होते है हाथ पैरो में केवल हड़िया का ढांचा दिखाई देता है। मुँह में एक भी दांत दिखाई नहीं देता है। समस्त बदन पर झुर्रिया दिखाई देती है बदन की लम्बाई ज्यादा होती है।
yakshini sadhana in hindi कनक याक्षिणी के प्रभाव 
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जब तक यह साधक के पास रहती है उसे किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं आने देती है और जब यह उसे छोड़ कर जाती है तो सारे दुखो में फसा क्र जाती है यह याक्षिणी ज्योतिषियों के बड़े काम आती है इसके सिद्ध हो जाने से ज्योतिषी प्रत्येक प्रश्न का उतर सही देता है। ईस याक्षिणी की सिद्धि को 'कर्ण पिशाचनी 'सिद्धि कहते है। क्योकि यह जो कुछ कहती है साधक के कानो में कहती है यह साधक के कानो में हमेशा ऊपर की ओर रहती है।
यह याक्षिणी संसार में अपने साधक का प्रभाव बड़ा देती है परन्तु भ्र्ष्ट अधिक रहती है। यहां तक की कोई -कोई कर्ण पिशाचनी कान में विष्ठा तक लगाए रहती है और अंत में मरने पर साधक के शरीर में दुरगंध पैदा कर देती है जिससे उठाने वाले भी घृणा करते है।
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