pati ko vash mein karne ke liye upay

 pati ko vash mein karne ke liye upay या पति को वश में करना :-
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विधि कोई भी स्त्री कर सकती है जिस किसी स्त्री का पति बहुत ज्यादा परेशान करता हो मारपीट करता हो,उसे प्यार ना करता हो,बहुत ज्यादा शराब पीता हो,और रोज लड़ाई झगड़ा करता हो,ऐसी स्त्री के लिए हमने विधि बताई है।

 pati ko vash mein karne ke liye upay सामग्री:-

सूखी हुई आम की गुठली की माला 101 दाने की

 pati ko vash mein karne ke liye upay समय:-

सूर्योदय के समय

 pati ko vash mein karne ke liye upay स्थान:-

नदी या नहर के तट पर
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 pati ko vash mein karne ke liye upay विधि :-

आम की गुठली के अंदर के गुदे  को निकाल कर उसे बारीक बारीक टुकड़ों में काट काट कर सूख जाने पर 101 टुकड़ों की माला बना लीजिए इतना करने के पश्चात उसे अपने पास सुरक्षित रख लीजिए अब अगले दिन सूर्य उदय से पहले आप नहा धोकर स्वच्छ हो जाइए और किसी नदी या नहर के किनारे जाकर बैठ जाइए और यह बताए हुए मंत्र को एक लाख मंत्र का जाप करें।
pati ko vash mein karne ke liye upay मंत्र निम्न प्रकार है

मंत्र:-

ऊँ ह्रीं क्री ठ ठ

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 pati ko vash mein karne ke liye upay सावधानियां:-

यह कार्य हमेशा मंगलवार व शुक्रवार से करना है।
जिस किसी स्त्री का महामारी का समय हो या मासिक धर्म चक्र से गुजर रही हो उस स्थिति में यह कार्य की शुरुआत नहीं करनी है।
इस विधि को केवल शादीशुदा स्त्री केवल अपने पति के लिए ही कर सकती है।
यह विधि करते समय अपने पति को इसके बारे में जिक्र नहीं करना है नहीं तो सफलता नहीं मिलेगी।
यदि मंत्र जाप एक बार में पूर्ण नहीं होता है तो आप थोड़ा थोड़ा करके प्रत्येक दिन कर सकते हैं लेकिन जाप सीमा एक जैसी होनी चाहिए जैसे कि आज 10 माला की तो कल भी 10 होनी चाहिए और उसके अगले दिन भी 10 होनी चाहिए।
pati ko vash mein karne ke liye upay ज्योतिष विस्तार से शनि का महत्व :-
हमारे दैनिक जीवन में शनि का क्या महत्व होता है सनी ना तो पीड़ादायक होता है ना ही कष्ट कारक ग्रह है बल्कि भगवान शिव ने उसे जातकों उनके कर्मों के अनुसार फल देने के लिए नियुक्त किया है यदि किसी जातक के कर्म नींद निंदनीय पापी युक्त हैं तो शनि देवता उसके फलों में आंसू ला सकता है उसके कर्मों के लिए दंडित कर सकता है और आगे भविष्य में शुभ कर्मों के लिए प्रेरित करता है यदि जातक के कर्म श्रेष्ठ और प्रसन्न नहीं होते हैं तो उसे फलों को शुभ प्रदान करता है सनी जनता बहुत जरूरी है।
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pati ko vash mein karne ke liye upay स्वर्ण पाद :-
अगर जन्म राशि से 15 11 स्थानों में गोचर यंत्र चंद्र है तो स्वर्ण पाद है स्वर्ण पथ समस्त सुख के साथ-साथ पारिवारिक सुख की वृद्धि करता है शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अशुभ है।
pati ko vash mein karne ke liye upay रजत पाद :-
जन्म राशि 257 स्थानों में यदि चंद्र हो तो वह सनी का रजत पद होता है रजत पद से मान-सम्मान सुख संपत्ति तथा ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।
pati ko vash mein karne ke liye upay ताम्र पाल :-
जन्म राशि में यदि 37 10 स्थानों में चंद्र हो तो शनि ताम्र पाद में रहता है वह जातक को मन वांछित कार्यों में सफलता धन की वृद्धि विवाह पुत्र सुख आरोग्य में वृद्धि करता है।
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pati ko vash mein karne ke liye upay लोहा पाद :-
जन्म राशि में 48 12 स्थानों में चंद्र हो तो सनी लो पद में रहता है इससे नौकरी व्यापार का नाश स्त्री पुत्र एवं पारिवारिक क्लेश धन का नाश और अदालती झगड़े आदि बढ़ते हैं कोई अप्रिय दुखद घटनाएं भी घट सकती हैं यह कान्हा सोचना कि शनि ग्रह हमेशा अनिष्ट करता है या गलत है शनि ग्रह का पद ग्रहों में अति सम्मानीय है यह पद अन्य किसी ग्राहक को प्राप्त नहीं है साढ़ेसाती जातक के दोषों को दूर करती है।
pati ko vash mein karne ke liye upay शनि की ढैया :-
 भैया को संस्कृत में लघु कल्याणी भी कहा जाता है जब सनी भ्रमण करते हुए जातक की जन्म राशि से चतुर्थ या अष्टम स्थान में प्रवेश करता है तो उसे शनि की ढैया कहते हैं अर्थात गोचर से 48 में शनि भाइयों में विरोध किस रोग चिंता मृत्यु अग्नि भय दुख शस्त्र की चोट सुख की कमी आदि फल देता है महर्षि जैमिनी शनि को विशेष प्रभावशाली ग्रह माना है।
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pati ko vash mein karne ke liye upay शनि के नक्षत्र :-
पुष्य अनुराधा और उत्तराभाद्रपद इनकी नक्षत्र है इनकी महादशा 19 वर्ष होती है मां दशा और साढ़ेसाती को लोग प्राया एक रूप में देखते हैं जबकि द्वादश भाव में गोचर वर्ष शनि आते हैं तो साढ़ेसाती शुरू होती है एक राशि में अन्य ग्रहों की अपेक्षा व सबसे ज्यादा ढाई वर्ष तक रहते हैं जन्म समय चंद्रमा जितनी अंशों में रहता है उतनी ही आंसुओं में शनि अपनी राशि में द्वादश भाव में प्रवेश करता है तो इसे साढ़ेसाती लगता है या लगना कहते हैं या सिर पर चढ़ती भैया कहलाती है सनी शूद्र जाति का होने के कारण स्वभाव से मलिन आलसी और पत्र उत्तरी में बाधक है पदोन्नति में वाद बाधक है मानव शरीर में स्नायु और आंतों को प्रभावित करता है इसी पाप ग्रह भी कहते हैं जन्म राशि से 1221 स्थानों में शनि हो तो उस जातक के लिए शनि की स्थिति क्रमशः आंख उधर तथा चरणों में होती है तीनों स्थानों को मिलाकर साथ 7:30 वर्ष शनि कष्टदायक होता है जिसे साढ़ेसाती कहते हैं साडे 7 वर्ष में 2703 होते हैं ज्योतिष विचार से साढ़ेसाती के प्रभाव 100 दिनों तक मुख में शनि रहते हैं जो हनी देने वाले हैं इसके बाद दाहिनी भुजा पर 400 दिन जो विजय देने वाला होता है इसके आगे 600 दिनों तक दोनों पैरों में जो भ्रमण करता है जो ब्राह्मण कारक है 500 दिनों तक उधर में जो लाभदायक तथा धन-धान्य देने वाला है इसके 400 दिनों तक बाएं भुजा में जो दुख देने वाला 300 दिनों तक सिर पर जो राज्य सुख देने वाला आगे 200 दिनों तक नेत्रों में जो सुख दायक होता है उसके 200 दिन गुदा में जो दुख दायक है इस प्रकार साडे 7 वर्षों का फल मुनियों ने कहा है।

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