yakshini tantra siddhi & sadhana details
yakshini tantra siddhi & sadhana details
(10) विशाला यक्षिणी :-
yakshini tantra siddhi & sadhana details याक्षिणी का स्वरूप :-
इस याक्षिणी की लम्बाई एक पीपल के पेड़ के बराबर ऊंचा होता है। पैरो को पृथ्वी पर बड़े जोरो से मारती है और अनेको प्रकार के उपद्रव उठाती हुई जाती है। सीर के बाल आगे की और लटके हुए होते है लम्बाई के कारण उसके उम्र की तयदात नहीं हो सकती है। जितनी यह लम्बी होती है उसी के अनुसार इसके हाथ पैर लम्बे और चौड़े होते है। सिर इसका बहुत बड़ा और दाँत आगे की ओर निकले हुए और बड़े होते है।
yakshini tantra siddhi & sadhana details विशाला यक्षिणी का आगमन :-
यह याक्षिणी काफी भयानक रूप में होती है ,इसीलिए इसका आगमन भी काफी भयानक होता है। इसके आने के पूर्व काफी हिश्क जानवर दिखाई पड़ते है और काफी भयानक आवाजों के साथ आते है। फिर एकदम से सारे जीव अंतर्ध्यान हो जाते है और केवल दक्षिण दिशा में केवल मनुष्य से बात चित करने का शब्द सुनाई पड़ता है। साधक को उस समय अपना ध्यान नही हटाना चाहिए। यदि उसका ध्यान जाप से हट गया अथवा भयभीत हो गया तो घर आते ही बीमार हो जाएगा। अथवा जिधर वह जाएगा वह आवाज उधर सुनाई देगी। इसीलिए साधक को चाहिए की अपना दिल मजबूत करके इसकी साधना करे।
yakshini tantra siddhi & sadhana details साधना सिद्ध करने का समय :-
रात्रि के तीशरे पहर में काले धतूरे के बृक्ष के निचे गधे के चर्म के आसन पर बैठना होता है ,इसमें हवन किया जाता है हवन में आहुति देने के लिए अष्ट धातु का हवन कुण्ड त्रिभुजाकार बनवाये और उसके मध्य में आदित्य देव की मूर्ति स्थापित करके उस पर तेल मर्दन करे। और बताये गए मंत्र को 108 बार प्रतिदिन जाप करे।
yakshini tantra siddhi & sadhana details मंत्र :-
ॐ अनंत वल्ल्भो देति ,विशालस्य नमितः।
स्वयं प्रिया महा वश्यम,कुरु फट फट स्वाहा ।।
आषाढ़ बंदी १४ आदित्यवार के दिन विशाषा नक्षत्र में रात्रि में तीन बजे के बाद श्मशान में जा कर उपरोक्त मंत्र का जाप करे। प्रत्येक मंत्र के अंतिम अक्षर के तेल और चावलों की आहुति दे। अंतिम आहुति में मदिरा और मांस की देकर सीधा घर चले आवे पीछे मूड कर मत देखे।
yakshini tantra siddhi & sadhana details प्रभाव :-
यदि साधक डट कर इसकी साधना पूरी कर लेता है और सिद्ध कर लेता है तो वह जीवन भर माला माल रहेगा और यदि डर गया या भयभीत होकर भाग गया तो उसके साथ साथ सारा कुटुम्ब भी समाप्त हो जाता है।
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yakshini tantra siddhi & sadhana details याक्षिणी का स्वरूप :-
इस याक्षिणी की लम्बाई एक पीपल के पेड़ के बराबर ऊंचा होता है। पैरो को पृथ्वी पर बड़े जोरो से मारती है और अनेको प्रकार के उपद्रव उठाती हुई जाती है। सीर के बाल आगे की और लटके हुए होते है लम्बाई के कारण उसके उम्र की तयदात नहीं हो सकती है। जितनी यह लम्बी होती है उसी के अनुसार इसके हाथ पैर लम्बे और चौड़े होते है। सिर इसका बहुत बड़ा और दाँत आगे की ओर निकले हुए और बड़े होते है।
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yakshini tantra siddhi & sadhana details विशाला यक्षिणी का आगमन :-
यह याक्षिणी काफी भयानक रूप में होती है ,इसीलिए इसका आगमन भी काफी भयानक होता है। इसके आने के पूर्व काफी हिश्क जानवर दिखाई पड़ते है और काफी भयानक आवाजों के साथ आते है। फिर एकदम से सारे जीव अंतर्ध्यान हो जाते है और केवल दक्षिण दिशा में केवल मनुष्य से बात चित करने का शब्द सुनाई पड़ता है। साधक को उस समय अपना ध्यान नही हटाना चाहिए। यदि उसका ध्यान जाप से हट गया अथवा भयभीत हो गया तो घर आते ही बीमार हो जाएगा। अथवा जिधर वह जाएगा वह आवाज उधर सुनाई देगी। इसीलिए साधक को चाहिए की अपना दिल मजबूत करके इसकी साधना करे।
yakshini tantra siddhi & sadhana details |
yakshini tantra siddhi & sadhana details साधना सिद्ध करने का समय :-
रात्रि के तीशरे पहर में काले धतूरे के बृक्ष के निचे गधे के चर्म के आसन पर बैठना होता है ,इसमें हवन किया जाता है हवन में आहुति देने के लिए अष्ट धातु का हवन कुण्ड त्रिभुजाकार बनवाये और उसके मध्य में आदित्य देव की मूर्ति स्थापित करके उस पर तेल मर्दन करे। और बताये गए मंत्र को 108 बार प्रतिदिन जाप करे।
yakshini tantra siddhi & sadhana details मंत्र :-
ॐ अनंत वल्ल्भो देति ,विशालस्य नमितः।
स्वयं प्रिया महा वश्यम,कुरु फट फट स्वाहा ।।
आषाढ़ बंदी १४ आदित्यवार के दिन विशाषा नक्षत्र में रात्रि में तीन बजे के बाद श्मशान में जा कर उपरोक्त मंत्र का जाप करे। प्रत्येक मंत्र के अंतिम अक्षर के तेल और चावलों की आहुति दे। अंतिम आहुति में मदिरा और मांस की देकर सीधा घर चले आवे पीछे मूड कर मत देखे।
yakshini tantra siddhi & sadhana details |
yakshini tantra siddhi & sadhana details प्रभाव :-
यदि साधक डट कर इसकी साधना पूरी कर लेता है और सिद्ध कर लेता है तो वह जीवन भर माला माल रहेगा और यदि डर गया या भयभीत होकर भाग गया तो उसके साथ साथ सारा कुटुम्ब भी समाप्त हो जाता है।
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