mantra siddh karne ki vidhi
mantra siddh karne ki vidhi या मंत्र सिद्ध करने का यंत्र:-
mantra siddh karne ki vidhi |
mantra siddh karne ki vidhi सामग्री:-
गाय का दूध, तांबे की ताबीज, लाल कपड़ा, काला धागा।mantra siddh karne ki vidhi समय :-
मंगलवार, शनीवार रात्री में 9 बजे के बादmantra siddh karne ki vidhi स्थान :-
किसी भी एकांत स्थान परmantra siddh karne ki vidhi |
mantra siddh karne ki vidhi विधी :-
सबसे पहिले आप बताई हुईं सामग्री को अपने पास एकत्रीत कर लीजिए।इसके बाद किसी एकांत स्थान पर सारा समान लेकर चले जाइए, अब अपना मुख पूर्व दिशा की तरफ कर लीजिए और गाय के दूध से बताए हुए यंत्र को लिख दीजिए।
इसके बाद इसे मोड़ कर लाए हुए तांबे की ताबीज में अच्छी तरह से मड लीजिए और उसी समय इसे अपने गले में धारण कर लीजिए।
इसके बाद जब भी आप कोई सीधी करेंगे तब इसे अपने गले में हमेशा पहिने रहिए तो आपको कामयाबी मिलेगी।
mantra siddh karne ki vidhi |
mantra siddh karne ki vidhi सावधानी :-
*इस विधी को करते समय कोई आपको टोके नहीं।*इसे हमेशा शांति स्थान पर करना चाहिए।
mantra siddh karne ki vidhi यंत्र:-
mantra siddh karne ki vidhi
mantra siddh karne ki vidhi शनि को मित्र बना लेगा बढ़ाएं नहीं घबराए नहीं :-
ऐसा विचार जीवन में चलने से ग्रह चारी से आप मुक्त रहेंगे शनि राहु केतु मंगल बांदा पहुंचाने वाले ग्रह आदि आपकी मित्र बन जाएंगे पाप ग्रह भी अपने मित्र की रक्षा करेंगे इसके बाद भी आप दुखी रहते हैं तो वह है आपके पिछले जन्मों में किए कर्मों का भोग किसी कर्मों की गति कहा गया है जो बहुत काल के पुराने संस्कार हैं या संस्कार भी शिव की याद करने से मिट जाएगा शिव को याद करो और परमात्मा की याद का खाता बढ़ाओ परमात्मा की याद करके अपना सभी कार्य संपन्न करो आपकी अंदर साहस भेजा जाएगा आपके शत्रु आपकी मित्र बन जाएंगे सभी रुके कार्य पूर्ण होने लगेंगे आपका परिवार खुशी से संपन्न हो जाएगा शनि की शांति के लिए किसी प्रकार की परिक्रमा पीपल के वृक्ष आदि कर्ण की जरूरत नहीं है।
आप सनी के दान जप पूजन की जगह भूखी आत्माओं को भोजन कराएं बिना किसी कामना के मन के संकल्प मुझे रखें किसी को कटु वचन ना बोले किसी को बिगाड़ने या किसी को बर्बाद करने वाले संकल्पों का त्याग करें किसी को नीचा दिखाने की भावना का भी ख्याल त्याग दें अशुभ विचार या संकल्प छोटी सी चिंगारी है जो बढ़कर मन को चलाती रहती हैं इसलिए अशुभ विचारों और बुरे ख्यालों से दूर रहें मृदुल वचन है औषधि कटु वचन है तीर श्रवण द्वारा से सच रे साले सकल शरीर कबीर मीठे वचन बोले अपना दुख भूल दूसरों के सुख की बातें सोचे परमात्मा शिव की कृपा से सारी मुसीबतें दूर हो जाएंगी साढ़ेसाती और ढैय्या आपके सहयोगी बंद उन्नति की ओर ले जाएंगे आपके ऊपर आने वाली मुसीबतें शिवबाबा दूर करके अपने प्यारे बच्चों की रक्षा करेंगे केवल आप अपने मन से ब्रह्म विचार ब्रह्म संकल्प निकाल दें परमपिता परमात्मा शिव को अपने आप को शरणागत कर दें साढ़ेसाती क्या आप की संपूर्ण जिंदगी खूब खुशी पूर्वक आनंद के साथ बीतेगी यह तभी संभव है जब आप ऊपर बताए मार्ग को अपने जीवन में अपनाकर उसके अनुरूप बनेंगे जैसी स्मृति होती है वैसी स्थिति बनती है सृष्टि स्मृति से ही श्रेष्ठ स्थिति बनती है सबसे श्रेष्ठ स्मृति है परमात्मा की जो स्वयं को देर से न्यारी न्यारी आत्मा में अनुभव करने से ही निरंतर बनी रहती है संसार ही हर क्रिया एक विरोधी क्रिया से जुड़ी है हम स्वास लेते हैं पर लेना जितना जरूरी है छोड़ना भी उतना ही जरूरी होता है हम बिस्तर फैलाते हैं सोते हैं पर उठ उठना और पहले बिस्तर को समेटना भी जरूरी है हम धन संग्रह करते हैं पर धन संग्रह करना जितना जरूरी है धन का विसर्जन भी उतना ही जरूरी है संपत्ति ईश्वर की होती है उसे मेरा मानने से समस्याएं खड़ी होती हैं यदि हम एक क्रिया करें अर्थात श्वास लें छोड़े नहीं धन संग्रह करें खर्च नहीं करें निद्रा के आगोश में जाएं उठे नहीं तो जीवन कैसा होगा इस सृष्टि मंच पर स्पाट बजाने आए हैं पर वापस लौटे नहीं तो सृष्टि का दृश्य कैसा होगा इसलिए प्रतिदिन के कार्य व्यापार के बीच रहते भी यह याद स्मृति में होनी चाहिए कि मैं आत्मा इस में मेहमान हूं मुझे इस दे को छोड़कर इस रंगमंच से जाना ही होगा।
mantra siddh karne ki vidhi सनी कष्ट निवारण के उपाय :-
जिसकी शनि की ढैया चल रही हो उस जातक को तीन अकेला शिवजी को या हनुमानजी को भोग लगाकर आधा अकेला गाय को खिला दें तो अकेला अन्य लोगों में बांट दें आधा बचा अकेला स्वयं खा जाएं ऐसी क्रिया जिनकी जांच चल रही है उस जातक को प्रत्येक शनिवार को करनी चाहिए सावधानी यह है कि किसी शनिवार का नागा ना हो यदि किसी कारणवश शनिवार छूट जाए तो आगे शनिवार का बढ़ा लें इस प्रकार ढाई वर्ष तक प्रत्येक शनिवार को शनि कष्ट निवारण के लिए ढाई अकेला जो आप दूसरे को दे रहे हैं यही आपका सर्वश्रेष्ठ भाग्य बना देगा किसी भी ग्रह चारी की अवस्था में मोर पंख अपने पास हमेशा साथ रखें और अपने रूम के अंदर भी रखें।
ऐसा विचार जीवन में चलने से ग्रह चारी से आप मुक्त रहेंगे शनि राहु केतु मंगल बांदा पहुंचाने वाले ग्रह आदि आपकी मित्र बन जाएंगे पाप ग्रह भी अपने मित्र की रक्षा करेंगे इसके बाद भी आप दुखी रहते हैं तो वह है आपके पिछले जन्मों में किए कर्मों का भोग किसी कर्मों की गति कहा गया है जो बहुत काल के पुराने संस्कार हैं या संस्कार भी शिव की याद करने से मिट जाएगा शिव को याद करो और परमात्मा की याद का खाता बढ़ाओ परमात्मा की याद करके अपना सभी कार्य संपन्न करो आपकी अंदर साहस भेजा जाएगा आपके शत्रु आपकी मित्र बन जाएंगे सभी रुके कार्य पूर्ण होने लगेंगे आपका परिवार खुशी से संपन्न हो जाएगा शनि की शांति के लिए किसी प्रकार की परिक्रमा पीपल के वृक्ष आदि कर्ण की जरूरत नहीं है।
mantra siddh karne ki vidhi |
आप सनी के दान जप पूजन की जगह भूखी आत्माओं को भोजन कराएं बिना किसी कामना के मन के संकल्प मुझे रखें किसी को कटु वचन ना बोले किसी को बिगाड़ने या किसी को बर्बाद करने वाले संकल्पों का त्याग करें किसी को नीचा दिखाने की भावना का भी ख्याल त्याग दें अशुभ विचार या संकल्प छोटी सी चिंगारी है जो बढ़कर मन को चलाती रहती हैं इसलिए अशुभ विचारों और बुरे ख्यालों से दूर रहें मृदुल वचन है औषधि कटु वचन है तीर श्रवण द्वारा से सच रे साले सकल शरीर कबीर मीठे वचन बोले अपना दुख भूल दूसरों के सुख की बातें सोचे परमात्मा शिव की कृपा से सारी मुसीबतें दूर हो जाएंगी साढ़ेसाती और ढैय्या आपके सहयोगी बंद उन्नति की ओर ले जाएंगे आपके ऊपर आने वाली मुसीबतें शिवबाबा दूर करके अपने प्यारे बच्चों की रक्षा करेंगे केवल आप अपने मन से ब्रह्म विचार ब्रह्म संकल्प निकाल दें परमपिता परमात्मा शिव को अपने आप को शरणागत कर दें साढ़ेसाती क्या आप की संपूर्ण जिंदगी खूब खुशी पूर्वक आनंद के साथ बीतेगी यह तभी संभव है जब आप ऊपर बताए मार्ग को अपने जीवन में अपनाकर उसके अनुरूप बनेंगे जैसी स्मृति होती है वैसी स्थिति बनती है सृष्टि स्मृति से ही श्रेष्ठ स्थिति बनती है सबसे श्रेष्ठ स्मृति है परमात्मा की जो स्वयं को देर से न्यारी न्यारी आत्मा में अनुभव करने से ही निरंतर बनी रहती है संसार ही हर क्रिया एक विरोधी क्रिया से जुड़ी है हम स्वास लेते हैं पर लेना जितना जरूरी है छोड़ना भी उतना ही जरूरी होता है हम बिस्तर फैलाते हैं सोते हैं पर उठ उठना और पहले बिस्तर को समेटना भी जरूरी है हम धन संग्रह करते हैं पर धन संग्रह करना जितना जरूरी है धन का विसर्जन भी उतना ही जरूरी है संपत्ति ईश्वर की होती है उसे मेरा मानने से समस्याएं खड़ी होती हैं यदि हम एक क्रिया करें अर्थात श्वास लें छोड़े नहीं धन संग्रह करें खर्च नहीं करें निद्रा के आगोश में जाएं उठे नहीं तो जीवन कैसा होगा इस सृष्टि मंच पर स्पाट बजाने आए हैं पर वापस लौटे नहीं तो सृष्टि का दृश्य कैसा होगा इसलिए प्रतिदिन के कार्य व्यापार के बीच रहते भी यह याद स्मृति में होनी चाहिए कि मैं आत्मा इस में मेहमान हूं मुझे इस दे को छोड़कर इस रंगमंच से जाना ही होगा।
mantra siddh karne ki vidhi सनी कष्ट निवारण के उपाय :-
जिसकी शनि की ढैया चल रही हो उस जातक को तीन अकेला शिवजी को या हनुमानजी को भोग लगाकर आधा अकेला गाय को खिला दें तो अकेला अन्य लोगों में बांट दें आधा बचा अकेला स्वयं खा जाएं ऐसी क्रिया जिनकी जांच चल रही है उस जातक को प्रत्येक शनिवार को करनी चाहिए सावधानी यह है कि किसी शनिवार का नागा ना हो यदि किसी कारणवश शनिवार छूट जाए तो आगे शनिवार का बढ़ा लें इस प्रकार ढाई वर्ष तक प्रत्येक शनिवार को शनि कष्ट निवारण के लिए ढाई अकेला जो आप दूसरे को दे रहे हैं यही आपका सर्वश्रेष्ठ भाग्य बना देगा किसी भी ग्रह चारी की अवस्था में मोर पंख अपने पास हमेशा साथ रखें और अपने रूम के अंदर भी रखें।
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