dimag tej karne ka asan tarika

 dimag tej karne ka asan tarikaया दिमाग तेज करने का यंत्र:-

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dimag tej karne ka asan tarika सामाग्री-:

गुलाब की कलम,भोजपत्र,गुलाब जल तांबे की ताबीज

dimag tej karne ka asan tarika समय:-

शुक्ल पक्ष की चुर्दशी को रात्री में

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dimag tej karne ka asan tarika विधी:-

इस विधी में हमेशा की तरह बताई हुईं सामग्री को अपने पास रख लीजिए या एकत्रीत कर लीजिए।
अब गुला gब की कलम से भोजपत्र पर बताए हुए यंत्र को लिख दीजिए।
इसके बाद लिखे हुए यंत्र को तांबे की ताबीज में भरकर अपने दाएं हाथ में धारण या बांध ले
इसे दिमाग में तेजी या अच्छा विचार अवश्य आयेगा।
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dimag tej karne ka asan tarika सावधानी :-

*इस यंत्र को हमेशा बताई हुईं तिथि या समय में ही करनी चाहिए।
यदि किसी बच्चे के लिए बनाना है तो हमेशा ताबीज़ बनाने के बाद उसी समय के अंदर बच्चे के हाथ में बांध देना चाहिए।
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dimag tej karne ka asan tarika सनी को मित्र् बनाए घबराए नहीं :-
इस अद्भुत आध्यात्मिक लेख द्वारा जो ज्योतिष विषय से बिल्कुल अलग है बहुत संख्या में लोग लाभान्वित हुए हैं शनि साढ़ेसाती या ढैय्या शब्द आज के वर्तमान समय में लोगों की मानसिक परेशानियां व्यर्थ की चिंताएं भय आदि व्यापक रूप से मन को झकझोर देती हैं अशांति पैदा कर देती हैं ढाई वर्ष फिर ढाई वर्ष फिर ढाई वर्ष इन तीनों ढाई वर्ष को मिलाकर 7:30 वर्ष का समय सनी के अच्छे बुरे प्रभाव से लोग परेशान और चिंतित रहते हैं लोग अपनी राशियों पर आए साढ़ेसाती से भयभीत हो जाते हैं घबराते हैं साढ़ेसाती 27100 दिनों तक रहती है शनि ग्रह बहुत धीमी गति से चलने वाला ग्रह है शनि एक राशि पर ढाई वर्ष तक रहता है इसलिए 3:00 राशि में भ्रमण करने में 21 साडे 7 वर्ष लग जाते हैं 12 राशियों की परिक्रमा लगभग 30 वर्षों में पूरा करता है शनि का व्यास 240000 मिल है पृथ्वी से 75 करोड़ मील दूर है सूर्य से इसकी दूरी880060000 नील है ज्योतिष के मान से 12 राशियों का एक चक्कर 21 वर्ष 4 माह 10 दिन 10 घंटे 30 पल में पूरा करता है जिस प्रकार माता-पिता को अपने बच्चों से प्यार भरा लगा होता है उनमें आत्मिक आंतरिक प्रेम रहता है।
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उसी प्रकार सनी को अपना मित्र बना लें मित्रता की भावना रखिए जब भी आप के ऊपर शनि की ढैया या साढ़ेसाती की गृह चारी आए उसे खुशी पूर्वक अपने जीवन में स्वीकार करें ग्रह आदि जो प्रकाश मंडल में विचरण कर रहे हैं वे पंचातत्व प्रकृति के निर्माण और बदलाव करने की शक्तियां हैं यह सब परमात्मा की रचना है मौसम आदि के फेरबदल करने में यह ग्रह प्रकृति के सहयोगी होते हैं याद रखी किसी के रोने चिल्लाने से प्रज्ञा प्रबंध का दुख भोग मिट नहीं जाएगा और भारी चाहा रखने से चिंता करने से सुख मिल नहीं सकता मनुष्य जिस प्रकार चिंता करता है जैसा संकल्प करता है वैसा ही बनता है मनुष्य आज्ञा नात अपूर्ण कार्य कर उससे अपना लाभ भला सोचता है वह कभी सफल हो नहीं सकता जैसा बीज बोएगा वैसा फल मिलेगा बबूल का बीज बोने से आम मिल नहीं सकता मनुष्य के जीवन का असली धन है सद्गुण उच्च संस्कार और देवी संपत्ति है लेकिन आज मनुष्य अपने भौतिक सुख और इच्छाओं की पूर्ति के लिए अनेक प्रकार की मूर्तियां कामनाएं आदि भगवान से मांगते हैं वह मंदिर में मूर्तियां का दर्शन करने जाते हैं लेकिन मुस्कुराती मूर्तियों के देखने की बजाय अज्ञानता के कारण उसे कुछ सोचता नहीं वह मूर्तियों को देखकर भी अपनी आंखें बंद कर लेते हैं मनुष्य जो करता है उसे ही श्रेष्ठ समझा जाता है यही उसकी भूल है अज्ञानता है वह केवल बिना सी वस्तुओं की चाह रखता है जैसे प्रकाश के अभाव को अंधकार कहा जाता है वैसे ही ज्ञान के अभाव को मुंह कहते हैं संसार सागर में रहते कमल पुष्प के समान उप राम रहिए जिस प्रकार की चरण में रहते कमल को कीचड़ का प्रभाव नहीं पड़ता व कीचड़ में रहते न्यारा प्यारा अर्थात कीचड़ से बिल्कुल अलग रहता है सभी मनुष्य आत्माएं संसार रूपी स्टेज पर अपना अपना अभिनय शरीर द्वारा अदा कर रही हैं शनि की साढ़ेसाती ढैया व अन्य ग्रहों के उत्पीड़न से छुटकारा पा सकते हैं जिसका उपाय है।
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शिव बाबा की आराधना उनकी याद उनका चिंतन उनसे युगला गाना परमात्मा शिव जिनका ना कोई माता है ना कोई पिता है वह जन्म-मृत्यु के बंधन में नहीं आते वह निराकार हैं छठे तत्वों के रहने के वाली अजन्मा है अकाल मूरत है सारे संसार में न्यारे हैं विचित्र हैं जिनका कोई चित्र नहीं है कल्याणकारी हैं आनंद स्वरूप हैं जिन्हें सत्यम शिवम सुंदरम कहा गया है उनका आकार बिंदु रूप है ज्योति बिंदु स्वरूप सिंह की सभी पर आत्माओं के चईता है जगत उनकी रचना है आकाश में जितने ग्रह चारी आदि हैं चाहे सूर्य या चांद या बृहस्पति मंगल या शनि राहु केतु सभी परमात्मा शिव की सुंदर रचना है नाटक मंच पर जिस प्रकार आजकल रोशनी के लिए बड़े-बड़े रंग-बिरंगे बल्बों द्वारा स्टेज को प्रकाश से प्रकाशित करते हैं ठीक उसी प्रकार से सूर्य चांद आदि सभी ग्रह आकाश मंडल में रहते हमारे सृष्टि मंच को प्रकाश और शक्ति देते हैं और अपना कार्य करते हैं रात और दिन यह सब सृष्टि मंच की आवश्यकता है उसी प्रकार पांच तत्व भी हमारे सहयोगी हैं सभी जानते हैं पिता अपने बच्चों का कभी अहित नहीं सोचता ठीक उसी प्रकार हम पांच तत्वों के सहयोगी हैं सभी मनुष्य आत्माओं को पिता शिव है जो सदा कल्याण करते क्योंकि ना उनका बच्चा नालायक हो उसका भी हित ही करते हैं इसलिए कोई भी ग्रह चारी आपको तंग या परेशान नहीं कर सकती केवल आप पुण्य शिव को अपना सच्चा पिता सगा संबंधी या किसी भी रूप में अपना साथी बना लें उन्हें दिल से याद करें परमात्मा द्वारा रची गई गृह जारी मीत कारी है कल्याणकारी है सभी परमेश्वर की रचना है यह सकारात्मक चिंतन मन में चले नेगेटिव विचार का चिंतन या व्यर्थ संकल्पों का चिंतन में ना आए किसी भी ग्रह जारी से घबराएं नहीं परेशान या चिंतन ना हो मन में सदा खुशी की उछाल रखें परमात्मा शिव को अपना साथी रक्षक भाई गुरु समझे रात दिन सिर्फ एक ही परमात्मा को याद करें और उनका चिंतन करें मानसा न अपमान की शादी का ख्याल छोड़ दे मिला तो अच्छा ना मिला तो भी अच्छा जो हो गया वह अच्छा और जो हो रहा है वह सब अच्छा है जो लोग जो आगे होगा वह भी अच्छा ही होगा यह संतुष्ट था बनी रहे कुरूद का नाम मात्र भी प्रवेश ना हो अभिमान से दूर रहें।


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